Sunday, 12 February 2012

QashMaQash Aur Mai...

मेरी  ऊँची  उड़ान  से  जलने  वाले  सुन ...
घायल  डैनो  से  उड़ना  सीखा  है  मैंने ...

आज  मेरे  उन्मत्त  कदम  की  चाल  तो  देख ...
वक्त  की  ज़लील  ठोकरों  से  चलना  सीखा  है  मैंने ...

आखे  जो  है  मेरी  वो  रोती  इस  लिए  नहीं  की ...
आसुओ  का  सैलाब  इनमे  कभी  सुखाया  है  मैंने ...

बाज़ुओ  में  मेरे  दम  है  तो  क्यों  कर  है  राज ,
कुछ  पर्वतो  को  हाथो  से  तौला  है  मैंने ...

सीना  जो  था  चाक  वो  फौलाद  है  तो  क्यों  है ...
की  सारे  ही  गमो  को  गलबहिया  डाल  अपनाया  है  मैंने ...

बिखरा  हुआ  सा  था  जो  मैं  मेरे  इम्तिहान  मे  कभी ...
अब  इम्तिहानो  की  इन्तेहाँ  से  सुर  मिलाया  है  मैंने ...

की  अब  समन्दरो  की  लहरों  से  डर  ही  नहीं  लगता  की ...
तुफानो  में  तैराकी   का  फन  पाया  है  मैंने ...

अब  दरिया  की  गहराई  मुझे  ज्यादा  नहीं  लगती ...
क्योकि   लहरों  का  सीना  चीर  रास्ता  बनाया  है  मैंने ...

जिंदगी  झूझती  रही  औरो  की,  इसी  क़शमक़श  मे  की ...
की  कब  क्या  खो  कर  के  क्या  पाया  है  मैंने ...

मेरे  बिन  जान  पहचान  के  मतलबी -चाहनेवालो  सुन  लो ...
तुम्हारे  हर  मंसूबे  का  मखौल  बनाया  है  मैंने ...

तो  तू  मेरा  रास्ता  न  रोकना   इस  बार  ए  नादान ...
की  आसमान  को  रास्ता , सूरज  को  मंजिल  बनाया  है  मैंने ...

Thursday, 9 February 2012

MATALABEE

मै  था  तुझमे, तू  थी  मुझ  में  ही  कही
फिर  क्यों  बन  गए,  हालात  मतलबी ...
जो  तेरा  ज़िक्र  नहीं,  तो  मेरी  बात  नहीं
फिर  क्यों  हो  गए,  तुम  यूँ  अजनबी ...
हर  बार  जो  पुकारा,  मैंने  दिलो  जा  से
ढूँढा  दर -ब-दर,  पर  तुम  कही  नहीं ...
जब  है  मतलब  तुझे  बस  मतलब  से
तो  जा ...मुझे  तुझसे  कोई  मतलब  नहीं ...

खूब  बहाने,  खूब  वादे  कर
तुमने  ही,  मुझ  को  लूटा  था ...
एक  आंसू  जो  आखो  से  गिरा कभी ...
तब  देने  को  ज़रा  सी  हिम्मत  भी ...
तूने  कहा  था  जो कुछ  भी उस  रोज़ ...
हर  एक -वो  तेरा  अलफ़ाज़  मतलबी ...
जब  है  मतलब  तुझे  बस  मतलब  से
तो  जा ...मुझे  तुझसे  कोई  मतलब  नहीं ...

आज  जरूरतमंद  हो  कर  जो  देखा
पहचाना  तेरा  वो  मिजाज़  मतलबी ...
बड़े  दिल  से  दिया  था  ये  दिल  तुझको ...
पर  ढूँढा  तूने  बस  मतलब  ही ...
एक  बार  तुझसे  वफ़ा  चाही  तो ...
दिया  बदले  में  बस  मतलब  ही ..
जब  है  मतलब  तुझे  बस  मतलब  से
तो  जा ...मुझे  तुझसे  कोई  मतलब  नहीं ...

हर  बार  बाहों  ने  तुझे  थामा  था ...
हर  बार  समेटा  था  तुझको  ही ...
हर  हाल  में  बस  मै  तेरा  था ...
हर  बार  सहेजा था  तुझको  ही ...
हर  खोने  और  हर  पाने  का ...
निकला  न  ज़रा  सा मतलब  भी ...
जब  है  मतलब  तुझे  बस  मतलब  से
तो  जा ...मुझे  तुझसे  कोई  मतलब  नहीं ...